महागठबंधन की संयुक्त रैली के लिए देवबंद का ही चुनाव क्यों?
लोकसभा चुनाव के पहले चरण को अब महज 4 दिन ही शेष बचे हैं। चुनाव को लेकर राजनीतिक दल पूरी तरह कमर कस के तैयार हैं। वहीं इसी बीच महागठबंधन की पहली संयुक्त रैली रविवार को देवबंद में होने वाली है।
सहारनपुर लोकसभा अंतर्गत आने वाले देवबंद में 11 अप्रैल को मतदान होना है। जिससे पहले सपा-बसपा और रालोद यहां रैली करने वाले हैं। रविवार को होने वाली इस रैली को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर इसके लिए देवबंद का ही चयन क्यों किया गया?
बता दें कि देवबंद यूपी के भीतर इस्लामिक शिक्षा का बड़ा केंद्र है। जिसके चलते महागठबंधन की पहली रैली जामिया तिब्बिया मेडिकल कॉलेज के पास आयोजित की गयी है। इसमें अखिलेश-मायावती के साथ ही लोकदल राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी भी शामिल होंगे। मुस्लिम बाहुल्य इस इलाके में देवबंद के अतिरिक्त बेहट, सहारनपुर, सहारनपुर देहात, रामपुर मनिहारन विधासभा सीटें आती हैं। संयुक्त रैली के लिए देवबंद का चुनाव स्थानीय फैक्टर के मद्देनजर भी किया गया है। दरअसल कांग्रेस के सहारनपुर के उम्मीदवार इमरान मसूद को बीजेपी और बीएसपी-एसपी संयुक्त उम्मीदवार के खिलाफ कड़े दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है। इस रैली का मकसद अल्पसंख्यक वोटों को कांग्रेस के पलड़े में गिरने से रोकना है।
सहारनपुर में मुस्लिम वोटरों की संख्या तकरीबन 40 फीसदी होना भी एक बड़ी वजह के तौर पर देखा जा रहा है। साल 2017 में हुई हिंसा के बाद से ही मुस्लिम मतदाताओं को बीजेपी के खिलाफ माना जा रहा है। बीजेपी सांसद राघव लखनपाल के जुलूस के दौरान हुई इस हिंसा के बाद गठबंधन की निगाहें इस सीट पर हैं। दरअसल 20 अप्रैल 2017 को अंबेडकर जयंती के दौरान बीजेपी सांसद की ओर से जुलूस निकाला गया था। बिना पुलिस इजाजत के निकाले गये इस जुलूस में दलितों और मुसलमानों के बीच हिंसा हुई थी।
लोकसभा चुनाव के पहले चरण को अब महज 4 दिन ही शेष बचे हैं। चुनाव को लेकर राजनीतिक दल पूरी तरह कमर कस के तैयार हैं। वहीं इसी बीच महागठबंधन की पहली संयुक्त रैली रविवार को देवबंद में होने वाली है।
सहारनपुर लोकसभा अंतर्गत आने वाले देवबंद में 11 अप्रैल को मतदान होना है। जिससे पहले सपा-बसपा और रालोद यहां रैली करने वाले हैं। रविवार को होने वाली इस रैली को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर इसके लिए देवबंद का ही चयन क्यों किया गया?
बता दें कि देवबंद यूपी के भीतर इस्लामिक शिक्षा का बड़ा केंद्र है। जिसके चलते महागठबंधन की पहली रैली जामिया तिब्बिया मेडिकल कॉलेज के पास आयोजित की गयी है। इसमें अखिलेश-मायावती के साथ ही लोकदल राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी भी शामिल होंगे। मुस्लिम बाहुल्य इस इलाके में देवबंद के अतिरिक्त बेहट, सहारनपुर, सहारनपुर देहात, रामपुर मनिहारन विधासभा सीटें आती हैं। संयुक्त रैली के लिए देवबंद का चुनाव स्थानीय फैक्टर के मद्देनजर भी किया गया है। दरअसल कांग्रेस के सहारनपुर के उम्मीदवार इमरान मसूद को बीजेपी और बीएसपी-एसपी संयुक्त उम्मीदवार के खिलाफ कड़े दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है। इस रैली का मकसद अल्पसंख्यक वोटों को कांग्रेस के पलड़े में गिरने से रोकना है।
सहारनपुर में मुस्लिम वोटरों की संख्या तकरीबन 40 फीसदी होना भी एक बड़ी वजह के तौर पर देखा जा रहा है। साल 2017 में हुई हिंसा के बाद से ही मुस्लिम मतदाताओं को बीजेपी के खिलाफ माना जा रहा है। बीजेपी सांसद राघव लखनपाल के जुलूस के दौरान हुई इस हिंसा के बाद गठबंधन की निगाहें इस सीट पर हैं। दरअसल 20 अप्रैल 2017 को अंबेडकर जयंती के दौरान बीजेपी सांसद की ओर से जुलूस निकाला गया था। बिना पुलिस इजाजत के निकाले गये इस जुलूस में दलितों और मुसलमानों के बीच हिंसा हुई थी।
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